DAIRY FARM

कृषि संकाय की स्थापना के साथ, वर्ष 1962 में डेयरी की शुरूआत हुई। स्थाई सम्बद्धता के पश्चात् शुरूआती दौर में 40 गायें, 25 भैंसें व 20 बकरियों से डेयरी का शुभारम्भ हुआ। 150 मुर्गियों के साथ मुर्गीखाना (Poultry Farm) की भी शुरूआत की गई। वर्ष 1968 में संग्रहालय वाली बिल्डिंग से, मौजूदा बिल्डिंग में महाविद्यालय के स्थानान्तरण के साथ ही एक पृथक शाखा के रूप में डेयरी का वास्तविक स्वरूप सामने आया। जिसका उद्घाटन श्रीमति कमला बैनिवाल तत्कालीन कृषि मंत्री राजस्थान सरकार द्वारा किया गया। महाविद्यालय की मुख्य बिल्डिंग के सामने छात्रों के छात्रावास के पास डेयरी की नई बिल्डिंग का मौजूदा स्वरूप वर्ष 1969 में उभर कर सामने आया। इसमें गायों व भैंसों के लिए चारदीवारी युक्त एक 40 फुट चौड़े व 76 फुट लम्बे शैड का निर्माण (Head to Head System) द्वारा करवाया गया।

तूड़़ी के संग्रह हेतु एक भंडारगृह भी बनवाया गया। पशुओं के दाने व खल आदि के संग्रह हेतु डेयरी के गेट के पास दो कमरे अलग से बनवायें गये। डेयरी के मुख्य शैड के साथ एक रिकार्ड रूम तथा कर्मचारियों के लिए एक कार्यालय भी बनवाया गया। शेष क्षेत्र में खुला (Open to Sky) परन्तु चारदीवारी से घिरा एक बाड़ा बनवाया गया जिसमें हरे पेड़ों के नीचे पशुओं को चारा डालने हेतु खुरलिंया बनवाई गई। पशुओं का चारा काटने हेतु चारा कटर विद्युत चलित मशीन (Power Cheff Cutter) भी मौजूद है। पशुओं के पीने के पानी की व्यवस्था हेतु एक बडी डिग्गी बनवाई गई तथा वर्ष 2013 में हाल प्राचार्य श्री दर्शन सिंह जी के प्रयासों से, सचिव महोदय श्रीमान् सुखराज सिंह सलवारा की अनुमति से एक सब्मर्सीबल पम्प भी लगवाया गया। वर्तमान में डेयरी फार्म में 45 पशु है।